CBI को मिले सुपरपॉवर्स! Supreme Court के इस फैसले से बदल जाएगा भ्रष्टाचार का खेल!

By Prerna Gupta

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Supreme court

Supreme Court ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि अब सीबीआई को केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में जांच शुरू करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। यह फैसला देशभर में केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारों को लेकर लंबे समय से चल रही बहस को समाप्त करता है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

जस्टिस सी. टी. रविकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर कोई मामला भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत दर्ज किया गया है, और उसमें केंद्रीय कर्मचारी शामिल हैं, तो राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि पूर्व में दी गई सामान्य सहमति तब तक लागू मानी जाएगी जब तक उसे औपचारिक रूप से वापस नहीं लिया जाता।

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मामला किससे जुड़ा था?

यह फैसला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ आया है जिसमें सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया गया था।

मामला केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise) के अधिकारी ए. सतीश कुमार से जुड़ा था, जिन पर सीबीआई ने दो बार रिश्वत लेने के आरोप में केस दर्ज किया था।

हाई कोर्ट ने यह कहकर केस रद्द किया था कि राज्य विभाजन (2014) के बाद पुरानी सहमति अमान्य हो गई है।

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सुप्रीम कोर्ट का तर्क

  • केंद्र सरकार के अधीन कर्मचारियों पर केस दर्ज करने के लिए राज्य की मंजूरी जरूरी नहीं है।
  • 1990 में दी गई सामान्य सहमति अब भी प्रभावी है, जब तक उसे नई सरकारें वापस नहीं लेतीं।
  • यह फैसला राज्यों और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति को भी कम करेगा।

फैसले के व्यापक असर

  1. भ्रष्टाचार के मामलों में जांच प्रक्रिया तेज होगी।
  2. राजनीतिक हस्तक्षेप या प्रशासनिक देरी से बचा जा सकेगा।
  3. सीबीआई को अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली अधिकार मिलेंगे।
  4. केंद्रीय कर्मचारियों पर अब और अधिक जवाबदेही होगी।

केंद्रीय कर्मचारियों को क्या ध्यान रखना होगा?

अब केंद्र सरकार के अधीन काम कर रहे अधिकारी यदि भ्रष्टाचार में शामिल पाए जाते हैं, तो सीबीआई सीधे कार्रवाई कर सकती है।

यह फैसला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि यह एक कड़ा संदेश भी है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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