Private Sector Employee : अगर आप प्राइवेट नौकरी करते हैं और आपकी सैलरी से PF कटती है, तो ये खबर आपके लिए है। ज़्यादातर लोग PF को लेकर तो जागरूक होते हैं लेकिन EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना के बारे में कन्फ्यूजन में रहते हैं। EPS के ज़रिए रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है – लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं।
10 साल की नौकरी = पक्की पेंशन
सबसे अहम बात ये है कि अगर आप EPS के तहत पेंशन लेना चाहते हैं, तो कम से कम 10 साल की नौकरी पूरी करनी ज़रूरी है। अगर आपने लगातार 10 साल एक ही UAN नंबर पर काम किया है, तो रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलना तय है।
EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) ने EPS-95 स्कीम 1995 में शुरू की थी ताकि संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा मिल सके। अगर आपने 9 साल 6 महीने भी नौकरी की है, तो उसे 10 साल मान लिया जाता है। लेकिन इससे कम सर्विस होने पर पेंशन का फायदा नहीं मिलेगा।
PF का पैसा कैसे बंटता है?
हर महीने आपकी बेसिक सैलरी और DA का 12% PF के लिए कटता है। इसमें से पूरा 12% कर्मचारी की तरफ से जाता है, जबकि कंपनी (नियोक्ता) की तरफ से भी 12% कंट्रीब्यूशन होता है। लेकिन कंपनी का सारा पैसा EPF में नहीं जाता। इसमें से 8.33% EPS (पेंशन स्कीम) में और बाकी 3.67% EPF में जाता है।
जॉब में गैप हुआ तो क्या पेंशन नहीं मिलेगी?
अगर आपने 2 अलग-अलग कंपनियों में 5-5 साल की नौकरी की है, और बीच में थोड़ा ब्रेक रहा हो, तब भी आप EPS के तहत पेंशन के हकदार हो सकते हैं। बस शर्त ये है कि आपका UAN नंबर एक ही होना चाहिए और आपने उसे बदला न हो। यानी नौकरी भले ही बदली हो, PF अकाउंट एक ही बना रहना चाहिए।
EPS के फायदे सिर्फ पेंशन तक सीमित नहीं
EPS-95 स्कीम के तहत फैमिली पेंशन की भी सुविधा है। अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को विधवा पेंशन, बच्चों को चाइल्ड पेंशन और अनाथ पेंशन मिलती है। अगर विधवा दोबारा शादी कर लेती है, तो पेंशन बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है।
इतना ही नहीं, अगर कोई कर्मचारी 58 की बजाय 60 की उम्र में पेंशन लेना शुरू करता है तो उसे हर साल के लिए 4% एक्स्ट्रा पेंशन मिलती है। इसके अलावा, अगर कोई कर्मचारी स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो भी वो कम सर्विस पीरियड के बावजूद पेंशन का हकदार हो सकता है।
तो अगर आप भी PF में पैसा जमा कर रहे हैं, तो EPS के इन नियमों को अच्छे से जान लीजिए, ताकि रिटायरमेंट के बाद आपकी पेंशन पक्की रहे।