घर रेंट पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट में इन 5 बातों का रखें खास ध्यान – Rent Agreement

By Prerna Gupta

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Rent agreement

Rent Agreement : आज के समय में खासकर मेट्रो सिटीज़ में किराए पर रहना आम बात हो गई है। नौकरी, पढ़ाई या किसी और वजह से जब हम नए शहर में शिफ्ट होते हैं, तो सबसे पहले सिर पर छत चाहिए होती है। लेकिन क्या सिर्फ घर मिल जाना ही काफी है? नहीं! एक सही और लिखित रेंट एग्रीमेंट होना उतना ही जरूरी है जितना कि छत का होना।

मौखिक समझौता? बहुत बड़ी गलती!

कई लोग सिर्फ भरोसे पर घर किराए पर ले लेते हैं और लिखित एग्रीमेंट नहीं बनवाते। लेकिन अगर कल को कोई विवाद हो जाए तो किसकी बात मानी जाएगी? मौखिक समझौते की कोई कानूनी वैल्यू नहीं होती। इसलिए हमेशा स्टाम्प पेपर पर लिखित एग्रीमेंट बनवाएं। अगर रजिस्ट्रेशन भी करवा लें, तो सोने पे सुहागा।

किराया, डिपॉजिट और अवधि साफ लिखवाएं

रेंट एग्रीमेंट में यह क्लियर होना चाहिए कि:

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  • हर महीने कितना किराया देना है
  • जमा राशि कितनी है और कब वापस मिलेगी
  • एग्रीमेंट की अवधि क्या है (आमतौर पर 11 महीने)
  • किराया कब बढ़ेगा और कितना बढ़ेगा

कोई चीज अगर अस्पष्ट रहेगी, तो आगे चलकर परेशानी तय है।

बिजली-पानी का बिल कौन भरेगा?

ये छोटा सवाल बड़ा झगड़ा बन सकता है। इसलिए पहले ही लिखवा लें कि बिजली, पानी, गैस, इंटरनेट, मेंटेनेंस जैसे खर्च कौन उठाएगा। अगर मीटर शेयर हो रहा है तो उसका भी सिस्टम तय करें।

मरम्मत और नुकसान की ज़िम्मेदारी

घर में अगर कोई खराबी आती है – जैसे लीक हो रहा नल या बिजली की समस्या – तो उसे ठीक कौन करेगा? सामान्य तौर पर छोटी मरम्मत किरायेदार करता है और स्ट्रक्चरल रिपेयर मकान मालिक। अगर आपसे कोई गलती से नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई का तरीका भी तय होना चाहिए।

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घर छोड़ते वक्त क्या शर्तें होंगी?

अगर आपको एग्रीमेंट से पहले घर छोड़ना पड़े तो क्या जमा राशि कटेगी? नोटिस कितने दिन पहले देना होगा? ये सब बातें एग्जिट क्लॉज़ में जरूर लिखवाएं। वरना मकान मालिक जब चाहे आपको निकाल सकता है, या पैसा रोक सकता है।

ID प्रूफ और सामान की लिस्ट ज़रूरी

दोनों पक्षों के आधार, पैन जैसे पहचान पत्र एग्रीमेंट में जुड़ने चाहिए। अगर घर फर्निश्ड है, तो फर्नीचर और उपकरणों की लिस्ट भी साथ होनी चाहिए, ताकि बाद में कोई कहे कि “ये चीज़ टूटी हुई मिली थी” तो आप प्रूफ दिखा सकें।

पेमेंट का तरीका और रसीद लें

बैंक ट्रांसफर या UPI से किराया दें और उसका रिकॉर्ड रखें। नकद देते हैं तो रसीद ज़रूर लें। लेट पेमेंट पर पेनल्टी का जिक्र भी एग्रीमेंट में हो।

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अंत में एक बात याद रखें – रेंट एग्रीमेंट सिर्फ कागज़ नहीं, आपकी सुरक्षा की ढाल है।

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